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The Faithbook Blog


चरण-स्पर्श का महत्व
भारतीय परंपरा में ‘चरण-स्पर्श’ का इतना गहरा महत्व क्यों है? चाहे परमात्मा हों, सद्गुरु हों,या माता-पिता जैसे हमारे बुज़ुर्ग हों — सबके ‘चरण-स्पर्श’ का उल्लेख हमारे कल्चर में बार-बार आता है। दिवाली जैसे पर्वों पर माता-पिता के चरण स्पर्श कर उनके आशीर्वाद लेने की परंपरा होती है... अंजनशलाका जैसे मंगल विधानों में “अनंत गुरुपादुकेभ्यो नमः” के माध्यम से सद्गुरु के ‘चरण-वंदन’ की ही बात आती है... जब हम शत्रुंजय जाते हैं — पाँच चैत्यवंदन करते हैं, दादा आदिनाथ का चैत्यवंदन करते हैं, फ
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Nov 182 min read


गुणपूजा - व्यक्तिपूजा नहीं
जिनशासन की एक अद्भुत विशेषता है - जिनशासन गुण को महान मानता है, व्यक्ति को नहीं। व्यक्ति की महानता भी गुण के कारण ही होती है। इस विषय को...
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Oct 13 min read


कहानी कुरबानी की - 6
दलीचंद जैन की दिलचस्प कहानी जब स्वतंत्रता की लालसा अपनी चरम सीमा पर पहुँचती है, तब अवरोध, उपेक्षा और पीड़ा का कोई मोल नहीं रह जाता।...
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Sep 242 min read


बादल फट रहा है, या बादल को फाड़ा जा रहा है?
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में बादल फटने से तबाही... कठुआ में बादल फटने पर हुई तबाही... हिमाचल प्रदेश से भी ऐसी ही खबरें आयी थी। चमौली...
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Sep 186 min read


गड़बड़ी करने वाले साधु की निंदा करने से पाप लगता है?
आज एक कहानी से शुरू करते है। एक नगर में एक बड़ा उस्ताद चोर था। बड़े बड़े घरों में चोरी करता था। फिर भी कभी राजरक्षकों के हाथ में नहीं आता...
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Jul 19, 20247 min read
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