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The Faithbook Blog


क्या जमीनकंद में अनंत जीव होते है?
कंदमूल के एक-एक कण में अनंता जीव होते है, यह साबित करने के 5 मुद्दे है, उनमें से दूसरे 'जीव अनादि अनंत है'।इस मुद्दे को साबित करती हुई (a...
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Jun 27, 20243 min read


ईश्वर ने विश्व को बनाया है या बताया है ?
सृष्टि के सृजन के विषय में आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रस्तुत Big Bang थिअरी आदि के विषय में तर्कसंगत उत्तर से रहित ढ़ेरों प्रश्न बिना सुलझे...
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Apr 5, 20247 min read


हमारे धर्म के नियम बहुत ही सख्त हैं, ऐसा क्यों?
प्रश्न : महाराज साहेब! अनेक प्रश्नों का समाधान हो गया हैं। अब एक नया प्रश्न है कि, दुनिया में सैकड़ों धर्म हैं। हर एक धर्म में कुछ ना कुछ...
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Apr 19, 20237 min read


इतने सारे देरासरों की क्या जरूरत है?
चढ़ावे पैसों में ही क्यों लिए जाते हैं? देवद्रव्य का उपयोग अन्य किसी भी कार्य में क्यों नहीं हो सकता? आदि बातें अब बराबर से समझ में आ गईं...
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Apr 19, 20237 min read


देवद्रव्य की रकम से समाज सेवा के कार्य करने चाहिए?
बैंकों में देवद्रव्य के करोड़ों रूपये ऐसे ही निष्क्रिय पड़े रहते हैं, तो उसका उपयोग दुष्काल राहत में, या भूकंप पीड़ितों के लिए, या अनाथ...
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Apr 13, 20237 min read


कंदमूल अभक्ष्य क्यों है?
प्रश्न : महाराज साहब! कंदमूल अभक्ष्य क्यों है? उत्तर : जमीनकंद के भक्षण से आत्मा को दुर्गतिगमन आदि नुकसान होता है। ऐसा भगवान ने अपने...
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Apr 10, 20237 min read


क्या देवद्रव्य की राशि का उपयोग साधर्मिक के उत्थान में नहीं करना चाहिए?
प्रश्न: हमारे यहाँ चढ़ावा आदि पैसों में क्यों बोले जाते हैं? इत्यादि बातें आपने सुंदर तरह से तर्कसहित समझाईं और वे समझ में भी आ गईं।...
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Feb 28, 20227 min read


चढ़ावा पैसों के आधार पर ही क्यों बोला जाता है ?
प्रश्न : हमारे यहाँ पैसों का बहुत बोलबाला है। प्रभु की प्रतिष्ठा है, तो चढ़ावा बोलो कि पहली पूजा कौन करेगा? मुमुक्षु को विदाई तिलक करना...
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Dec 12, 20217 min read


अनीति से पैसा मिलता है या पुण्य से?
अनीति से अंतराय बँधता है यह जिनोक्त बात हमने पिछले लेख में बैंक के दृष्टांत से देखी। इस लेख में हम इसे शास्त्रीय तर्क के द्वारा देखेंगे।...
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Oct 31, 20218 min read


धर्मात्मा दुःखी और पापी सुखी, ऐसा क्यों ?
इस भव में लोन या ब्याज कुछ भी वापस नहीं करना है, लेकिन परलोक में आना, पाई, ब्याज, सिक्के समेत चुकाना पड़ेगा। ऐसा करार करने वालों को बिना...
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May 18, 20217 min read


अजीबों-गरीब और विचित्र scheme
जिसे जितनी लोन चाहिए उतनी ले जाइये, किसी भी पहचान पत्र या दस्तावेज आदि की जरूरत नहीं है। इस भव में ना तो रकम वापस करनी है, ना ही ब्याज...
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Apr 11, 20217 min read


जीवन की बारहखड़ी
पिछले लेख में हम अनीति को टालने की बातों के बारे में सोच रहे थे। अनीति के विषय में एक अन्यधर्मी मेगेज़ीन में पढ़ी हुई कथा याद आ रही है।...
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Apr 11, 20217 min read


फर्ज अदा करें वरना कर्ज चढ़ जाएगा।
पिछले लेख के अंतर्गत आखिर में यह प्रश्न किया गया था कि नौकरी करने वालों के लिए नीति और प्रामाणिकता क्या होती है? इसका उत्तर यह है कि उसको...
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Apr 11, 20217 min read


जीव बिना सुख के नहीं रह सकता है।
हमने पिछले लेख में देखा था कि कोई भी व्यक्ति, वस्तु या प्रवृत्ति जीव को सुख नहीं दे सकती, ना ही दे रही है, बल्कि जीव का खुद का रस ही खुद...
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Apr 11, 20216 min read


सुख कौन देता है ?
पिछले लेख में हमने देखा कि जिसमें भारतीयों को बहुत आनंद आता है ऐसी क्रिकेट में अम-रीकनों को ऊब आती है। शक्कर को चखने वालों को चाहे भारतीय...
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Apr 10, 20216 min read


मनोरंजन का मानसरोवर
एक बार के लिए मानिए कि आपकी वार्षिक आमदनी 10 लाख रूपये है, और पूरे वर्ष का कुल खर्च 8 लाख रूपये है। मतलब 2 लाख रूपये की शुद्ध बचत है।...
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Jan 31, 20216 min read


दुष्प्रवृत्तियों में हमें बदबू का अहसास क्यों नहीं होता?
एक्स्ट्रा प्लॉट में कचरा एकत्र हो गया हो तो उसकी बुरी असर बंगले पर होती हुई स्पष्ट दिखाई देती है। रोज मिलने वाले दो-चार घण्टे के खाली समय...
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Nov 2, 20207 min read


इंद्रियों के गुलाम या मालिक ?
ऐसे पुण्यशाली जीव जिन्हें रोज दो-चार घण्टे का Extra Time मिलता है, उन्हें उस Extra Time में धर्म की वृद्धि करनी चाहिए – गुरु भगवन्त ऐसा...
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Sep 23, 20207 min read


How to use this extra time?
पिछले लेखों में आपने पढ़ा, कि यदि आप पुण्य-शाली हैं और दिन में 3-4 घण्टे काम करके जरूरत से कहीं अधिक कमा लेते हैं, तो आपको बाकी के समय में...
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Sep 23, 20206 min read


जिनशासन में अर्थ और काम पुरुषार्थ का स्वरूप क्या है ?
इस लेखमाला के प्रथम भाग में मार्गानुसारी के 35 गुणों में से पहले गुण ‘त्रिवर्गअबाधा’ का उल्लेख किया था। उसका अर्थ यह था कि...
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Jun 30, 20207 min read
From the significance of daily rituals to the profound teachings of Jainism,
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