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The Faithbook Blog


परमात्मा की वीतरागता
अन्य सभी दर्शनों की अपेक्षा, जिनशासन में एक अनुपम विशेषता देखने को मिलती है – जिन्हें परमात्मा माना गया है, उनमें कोई दोष दिखाई नहीं देता। कईं दर्शनों में माने गए ईश्वर का पत्नी-पुत्र आदि परिवार होता है... और इसलिए, उस ईश्वर में "यह मेरी पत्नी है, मेरा पुत्र है..." ऐसा ममत्व, उनके प्रति आसक्ति, मालिकाना भाव (परिग्रह)... उन्हें परेशान करने वालों पर क्रोध, द्वेष... आदि दोष देखे जाते हैं। जिनशासन जिन्हें परमात्मा मानता है, उन्होंने परिवार का त्याग कर के साधना द्वारा अपने दोषों क
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4 days ago2 min read


पर्युषण पर्व और संवत्सरी महापर्व का सर्वोच्च महत्व क्यों?
Q: पर्युषण पर्व और उसमें संवत्सरी महापर्व का इतना अधिक महत्व क्यों है? A: जैन धर्म की दृष्टि में, संसार का सर्वोत्तम सुख वीतरागता के...
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Aug 172 min read


मासूम सवाल, मजेदार जवाब
दिल्ली – 2020 – फरवरी का महिना – गुजरात विहार जैन संघ में मेरी शिविर थी। ‘Picture of the Picture’ Topic पर मेरा प्रवचन था। उस प्रवचन...
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Mar 268 min read


वर्षीदान का महत्व
चरम तीर्थपति भगवान महावीर का दीक्षा कल्याणक वास्तव में आश्चर्य उत्पन्न करने वाला है। प्रभु के जन्म कल्याणक का वर्णन कई बार और अनेक तरीकों...
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Nov 25, 20248 min read


स्वप्न
लीला: “बेटा चिंटू! दोपहर के 12:00 बज गए, अभी तक तू बिस्तर में पड़ा है?” चिंटू आधी नींद में ही बोला: “नहीं। मैं तो गोवा के बीच पर हूँ।...
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Nov 7, 20242 min read


क्याँ बच्चों के नाम राशि से ही रखने चाहिए?
अवसर्पिणी काल में प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान वर्तमान की संस्कृति के आद्य स्थापक हैं। सोलह संस्कार की परंपरा प्रभु आदिनाथ से चली आ...
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Nov 5, 20243 min read
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