
बिहार राज्य में बसे पटना शहर से एक समाचार आए थे। बिहार के विभिन्न जिलों में 9 से 14 साल के आयुवर्ग की लगभग 95 लाख लड़कियों को मुफ्त में टीका दिया जाना है। किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए टीकाकरण में देर होगी, हालांकि टीकाकरण की औपचारिक शुरुआत स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कर चुके हैं। मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत लड़कियों के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) वैक्सीनेशन को दो महिने पहले ही राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिल चुकी है।
पंजाब, सिक्किम, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पायलट प्रोजेक्ट के तहत टीका (वैक्सीन) लगाए जा चुके है।
सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा या बच्चेदानी (यूटरस) के मुंह का कैंसर) महिलाओं में पाया जाने वाला एक कैंसर है। 40 से 60 साल की वयस्क महिलाओं में ही अधिकतर होनेवाला कैंसर है, लेकिन विडंबना देखिए, 9 से 14 साल की किशोरियों को वैक्सीन ठोकी जा रही है।
हमने इस समाचार (बिहार राज्य से आए समाचार) की जाँच पड़ताल की तो पता चला कि, वर्तमान में वहाँ पर टीकाकरण अभियान रोक दिया गया है। क्यों रोका? और आगे क्या करने वाले हैं? HPV वैक्सीन लग भी जाए तो नुकसान क्या? और ना लगे तो नुकसान क्या? सभी की चर्चा करनी है, आइये संक्षेप में देखते हैं कि, HPV वैक्सीन से जैनियों की बेटियों को क्या प्रॉब्लम होगी?
भारत के 14 राज्य में नवंबर 2024 को HPV का टीका लगना शुरू किया गया था।
1) दिल्ली 2) बिहार 3) चंडीगढ़ 4) पंजाब 5) हरियाणा 6) महाराष्ट्र 7) गोवा 8) केरल 9) पश्चिमबंगाल 10) असम 11) मेघालय 12) गुजरात 13) हिमाचल प्रदेश 14) कर्नाटक 15) छत्तीसगढ़...
जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का कानूनी नोटिस इस संबंध में एडवोकेट मिताली सेत्त द्वारा सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट और अवेकन इंडिया मूवमेंट (AIM) के कई सदस्यों की ओर से भारत के उन 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को दिया गया। यह लीगल नोटिस दिनांक 28-9-2024 को भेजा गया था। इसमें मुख्य दो बातें कही गई थी।
1. किसी भी माता-पिता से वैक्सीन लेने के लिए इंकार करने का कारण नहीं पूछा जा सकता है।
2. प्रशासनिक अधिकारियों और डॉक्टरों को वैक्सीन लगाने से पहले माता-पिता से ‘सूचित सहमति’ लेनी होगी और वैक्सीन के दुष्प्रभावों के बारे में विज्ञापन करना होगा।
लीगल नोटिस जाने के बाद उन्होंने वैक्सीनेशन तो रोक दिया, कारण भले ही कुछ और ही बता रहे हो, लेकिन उन्हें लगा होगा कि इस झंझट का रास्ता ‘अपार आईडी’ के माध्यम से ही निकालना पड़ेगा। ‘अपार आईडी’ का हमारा पूर्वलेख जिन्होंने न पढ़ा हो, वह एक बार अवश्य पढ़ ले। माता-पिता की ‘सूचित सहमति’ मिल जाने पर बच्चों को वैक्सीन लगवाने से कोई रोक नहीं पाएगा और यदि अवरोध हट गया तो भविष्य बहुत ही भयावह है।
पाठकों की जानकारी के लिए Basic बातें (भूमिका की बातें) बतानी जरूरी है।
1. सर्वाइकल कैंसर सिर्फ बड़ी उम्र की महिलाओं में ही पाया गया है, (लेकिन यह वैक्सीन लगाने के बाद छोटी उम्र की लड़कियों में भी पाया जाए तो आश्चर्य नहीं करना है।)
2. सर्वाइकल कैंसर सिर्फ वेश्याओं में ही अधिकांशतः पाया जाता है। (हमारे जैन धर्म की बेटियाँ, वेश्या नहीं है कि, उसे HPV वैक्सीन लगानी पड़े)
3. जो लड़कियों के मल्टीपल पार्टनर होते हैं या जो अत्यधिक गर्भनिरोधी गोलियों का सेवन करती है, वह ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर की शिकार बनती हो, ऐसा देखा गया है। जो शराब, सिगरेट पीती है उसे भी हो सकता है।
4. सर्वाइकल कैंसर जिसे होता है उन्हें भी दो साल में अपने आप ठीक हो गया हो, ऐसा देखा गया है।
5. सर्वाइकल कैंसर एक लाख महिलाओं में सिर्फ 14 को ही होता है, उनमें से सिर्फ 9 की ही मृत्यु की संभावना है, फिर भी यह टीकानिर्माणकंपनियाँ सभी बच्चियों को वैक्सीन (टीका) ठूकवाना चाहती है, जो कि बेहद भयावह है।
6. सिरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के जब ट्रायल किए थे, तो इतने सारे खतरनाक साइड इफेक्ट्स देखे गये कि, भारत सरकार ने अपने राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में इस वैक्सीन को सम्मिलित ही नहीं किया।
7. डॉक्टर जयन्ति शास्त्री एवं ICMR के एक वैज्ञानिक ने भी यह स्वीकार किया कि सिरम की बनाई हुई HPV वैक्सीन (सर्वावेक) के कोई लंबे समय के स्टडी ही नहीं हुए हैं। वो कितना सेफ (सुरक्षित) है, उसका कोई रिसर्च डाटा भी नहीं है, उल्टा उनके दुष्प्रभावों की लंबी चौड़ी लिस्ट है।
8. सबसे बड़ी पागलपन की बात यह भी है कि, जो रोग सिर्फ महिलाओं में ही पाया जाता है उस वैक्सीन का परीक्षण लड़कों पर भी किया गया। जो रोग 40 साल के बाद होना है उसका टीका 14 साल की बच्चियों को दिया जाना पागलपन नहीं तो क्या है? टीका बनाने वाले खुद स्वीकार करते हैं की वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी (रोगप्रतिरोधी क्षमता) एक-दो साल से ज्यादा टिकती नहीं है, तो इतनी छोटी आयुवर्ग की लड़कियों को क्यों लगाया जा रहा है?
मैं इस प्रश्न का जवाब (जो मुझे डॉक्टर माया वालेचा इत्यादि गायनेक डॉक्टरों से मिला, वो ही) आपको दे रहा हूँ...
HPV वैक्सीन लेने वाली लड़कियां भविष्य में कभी भी माँ नहीं बन पाएगी। बांझ हो जाएगी क्योंकि इस वैक्सीन से ओवरी (अंडाशय) ही खत्म होने के चान्सीस है।
अभी एक बहन को, बच्चे के प्रसव होने के बाद अचानक पुरुष की तरह दाढ़ी-मूंछ के बाल आने लगे थे, तो जांच करने पर पता चला कि, डॉक्टर्स ने उस बहन को पूछे बिना ही HPV वैक्सीन का इंजेक्शन दे दिया था, जिसके चलते होर्मोनल इन्बेलेन्स (होरमौन्स का असंतुलन) हो गया। महिला पुरुष बने या पुरुष महिला... नुकसान तो आने वाले भविष्य का ही होना है।
सन् - 2009 में बील एंड मेलिन्दा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) ने ये ही HPV वैक्सीन का प्रयोग (ज़हर का प्रयोग) गुजरात एवं आंध्र प्रदेश की 23,000 बच्चियों पर किया था, जिसके कारण बहुत सारी बच्चियाँ बिमार हो गई। पाँच तो मर भी गई थी। इनका खेल सिर्फ़ वहीं पर रुका नहीं, ब्राण्ड नेम बदलकर उन्होंने फिर से 14,000 आदिवासी जैसे तबके के बच्चों को टीका दे दिया, बात ऊपर तक पहुँची थी। बील गेट्स को तभी ही पाबंद किया गया था, यह फिर से अलग रूप में आ गया हैं।
HPV वैक्सीन के ये नुक़सान की यहाँ पर लीस्ट दे रहे है, जो स्वयं कंपनी ने स्वीकार किया है, क्या यह जानने के बाद कोई भी अभिभावक (माँ-बाप) अपनी संतानों को मारना चाहेंगे?
HPV वैक्सीन के ये नुक़सान-
1) रक्त के थक्के जमना 2) हृदय घात 3) कार्डियोमायोपैथी 4) कार्डिक एरिथमिया 5) गुलिर्यन बेरी सिन्ड्राम (GBS) 6) न्यूट्रोफिलिक पित्ती 7) सिर दर्द 8) मायो कार्डिटिस 9) न्यूरो माईलाइटिस ऑप्टिगा (NMO) 10) तांत्रिकाजन्य मूत्राशय रोग 11) तंत्रिका संबंधित घाँव 12) ऑप्टिक न्यूरिटीस 13) अग्नाशय शोथ (सूजन) 14) अल्सरेटिव कोलाइटिस 15) पित्त 16) वीटीलीगो (सफेद दाग) 17) सेरेबल वास्कुलिटीस 18) चक्कर आना 19) मिर्गी 20) बेहोशी 21) थकान 22) उल्टी 23) वेस्टन हर्स्ट रोग 24) मौत
(यह सूची हमने अपने मन से नहीं बनाई है, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने जारी की है...)
अवेकन इंडिया मूवमेंट के अंबर कोईरी, निशा कोईरी जी की लड़ाई में हम अपना भी सहयोग प्रदान कर सकते हैं। कम से कम अवेकन होकर ‘अपार आईडी’ में हस्ताक्षर न कर के...
यदि आपने हस्ताक्षर कर लिए तो आपके हस्त (हाथ) से ही अपने बच्चों को HPV वैक्सीन इत्यादि के रास्ते धकेलना होगा। कौन माँ अपनी संतानों को मौत के रास्ते धकेलना चाहेगी?
यदि आपको ‘अपार आईडी’ में किये अपने हस्ताक्षर वापिस लेने है तो विड्रोअल फॉर्म भी जमाकर सकते हैं।
विड्रोअल फॉर्म आप सरकार की वेबसाईट से भी प्राप्त कर पायेंगे।
अधिक जानकारी के लिए – संपर्क सूत्र (9166568636)
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