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कुछ नया हो जाये?

  • Jul 23
  • 9 min read

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10 फरवरी - 2021 के दिन देश की संसद में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी पक्षों की उपस्थिति में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें बताई थी।

 

उनमें से खास एक बात को आज बताना चाहूँगा।

मोदीजी के शब्दों में ही बता दूं तो, 'कोरोना के माध्यम से हमारा ‘न्यू वर्ल्ड ओर्डर' में प्रवेश हो चुका है। अब भारत देश भी इस से अछूता नहीं रह सकता है।’

 

[जो बात देश की संसद में 10 फरवरी 2021 को बताई गई वो बात हमने अपनी मेगेजिन धर्मप्रेमीसंदेश मासिक पत्रिका में अगस्त-2020 में ही बता दी थी, जिस किसी को धर्मप्रेमीसंदेश की सदस्यता लेनी हो, संपर्क सूत्र - 9166568636 पर व्होटसेप करें]

 

नई विश्व व्यवस्था यानी ‘न्यू वर्ल्ड ओर्डर' आख़िर किस बला का नाम है भला? देश की संसद में, एक महत्त्वपूर्ण पद पर बैठा इन्सान क्यों इसका जिक्र कर रहा है? 10 फरवरी 2021 के बाद, उसी न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का जिक्र फिर से न.मो. ने लाल किले की प्राचीर से पंद्रह अगस्त 2021 के दिन भी किया, अब तक सात-से आठ बार न्यू वर्ल्ड आर्डर शब्द अलग-अलग स्थानों से, अलग-अलग समय पर प्रधानमंत्रीजी बोल चुके है फिर भी आश्चर्य की बात ये है की मेरे रात्रि प्रवचन में मैंने जब जब न्यू वर्ल्ड ऑर्डर शब्द का अर्थ पूछा तो श्रोताजनों ने एक ही जवाब दिया कि, हम तो इस शब्द को ही पहली बार सुन रहे हैं।

 

'न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ के बारे में पीछले 4-5 साल से मैं रिसर्च में लगा हुआ हूँ। जैसे-जैसे मेरी धारणा सही निकलती जा रही है, वैसे-वैसे मेरी चिंता बढती जा रही है। सिर्फ प्रभुवचन पर जमी श्रद्धा के कारण ही रात को मैं पूर्ण सकारात्मक होकर सो जाता हूँ। लेकिन, जिस किसी को न्यू वर्ल्ड ऑर्डर की समझ मिल जाती है, वो यदि भगवान पर भरोसा नहीं करता है तो उसकी रातों की नींद बिगड़नी निश्चित है।

 

सन् 2025 से सन् 2031 तक का समय संघर्ष का समय है। जिसे वैराग्य नहीं जगता हो, उसे वैराग्य पैदा हो जाये, ऐसा खतरनाक समय है। जब से शनिग्रह का मीनराशि में प्रवेश हुआ है, (29th March-2025), तब से कुछ प्राकृतिक एवं मानवसृजित आपदाएँ विश्व के दर पर दस्तक दे रही है।

 

नई विश्व व्यवस्था (न्यू वर्ल्ड ऑर्डर) की घोषणा सिर्फ़ अपने देश के प्रधानमंत्री श्री ने ही नहीं की है, अमेरिका- ब्रीटेन – ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों के शक्तिशाली नेताओं ने भी कर रखी है।

 

आपको जानकर हैरानी होगी, अमेरिका के एक डॉलर की नोट के पीछे बने परामीड के चित्र के नीचे भी हिब्रू भाषा में 'न्यू वर्ल्ड ओर्डर' लिखा हुआ है।

 

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम (WEF - विश्व औद्योगिक संगठन) के प्लेटफार्म पर से आठ भविष्यवाणी 2030 तक पूरी होने का एलान किया गया है। WEF की वेबसाइट पर जाकर आप भी देख सकते है।

वो आठ भविष्यवाणी भी एक प्रकार से 'न्यू वर्ल्ड ओर्डर' की ही बातें बता रही है।...

 

इजरायल - इरान का युद्ध हो, चाहे भारत - पाकिस्तान का संघर्ष हो, ये सब तो सिर्फ शुरुआत ही हैं, यदि इस आठ भविष्यवाणी को डीकोड करेंगे तो कई सारी बातें एक साथ समझ जायेंगे। तो चलो शुरु करते है - 8 भविष्यवाणी

 

8 Predictions for World in 2030 : (WEF)


1)     You will own nothing and you will be happy whatever you want you will rent and it will be delivered by drone


निष्कर्ष : 2030 तक आपका अपना कुछ भी नहीं बचेगा, यानी आपकी जमीन आपकी नहीं होगी, आपका घर, आपकी गाडी, आपकी दुकान या आप की संपत्ति भी...

 

कम्यूनिस्ट लोगों का यही सिद्धांत हैं। साम्यवाद में जो भी संपदाएँ होती है वो प्राईवेट नहीं होती है, सभी रिसोर्सीज का एक मात्र अधिकार सरकार के हाथों में होता है। साम्यवाद के नाम पर तानाशाही का जन्म होता दिख रहा है। इस प्रथम भविष्यवाणी से ऐसा... संदेश भी मिल रहा है कि आनेवाले समय में महंगाई आसमान को छुएगी। रूपयों का मूल्य पतन की ओर जायेगा। कई बड़े-बड़े लोग पायमाल और कंगाल होंगे, जिससे किसीकी मालिकी नहीं रहेगी!

 

आनेवाला समय ड्रोन का होगा। युद्ध से लेकर सभी चीज़ों में (खेतों में, व्यापार में, बाजार में) ड्रोन दिखने लगेगा। सभी चीज़े अत्यधिक महंगी होने से किराये पर लेना ही एक उपाय बचेगा।

 

दो देशों की लड़ाई में पूरे विश्व को सहना पड़ता है। यदि इरान को नुकसान पहुँचता है तो भारत को भी नुकसान पहुँचता ही है। दूसरी सामग्री भी महंगी हो जाती है, जब पेट्रोल-डीजल महंगे होते है। जो स्वाधीन होगा उसे ज्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। आठ भविष्यवाणी की शुरुआत की प्रथम पंक्ति (लाइन) ही बड़ी डेन्जरस है। आपका कुछ भी नहीं... कुछ भी नहीं यानी क्या? (क्या हमारा शरीर, हमारा परिवार, हमारी संतान, हमारा धर्म भी हमारा नहीं रहेगा?)

 

2)    The US (अमेरिका) won't be the world's leading Super power. A Handful of countries will dominate

 

निष्कर्ष : अब तक अमेरिका की जो भी दादागिरि चल रही थी, वो अब बंद होगी। विश्व संचालन अमेरिका एवं रशिया इस प्रकार दो ध्रुवीय नहीं रहेगा, बहुध्रुवीय बनेगा। आपके मन में होगा कि यह तो अच्छा ही हैं ना, भारत भी इस संचालन में अपना दायित्व निभायेगा।

 

आपकी भ्रांति तोड़ना जरूरी है, भ्रांति तोड़ने के लिए उन लोगो के प्लान समझना जरूरी है। न्यू वर्ल्ड ओर्डर के प्रमुख उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है, One World Government (एक विश्व सरकार) और इस विश्व  सरकार के लीडर बनने की लालच देकर बहुध्रुवीय सरकार में उन्हें आमंत्रित किया जाये तो सभी देशों के नेता इस एजेंडा में जुड़े जाये। बाद में उनमें से किसी भी एक को कमान सौपने पर उनका प्रयोग सफल हो सके। इसलिए अमेरिका की दादागिरि का अंत करवा के, कुछ शक्तिशाली देशों को यानी देश के नेताओं को तानाशाही करने का मौका दिया जायेगा। Total control comes by Multy Pollar World Order...

पूराना वर्ल्ड ओर्डर था, अमेरिका सुपर पावर

नया वर्ल्ड ओर्डर हो सकता है, भारत – चाईना – रशिया इत्यादि सुपर पावर...

 

3)    You won’t die waiting for an organ donar We wan’t transplant organs we’ll print new ones instead...

 

निष्कर्ष : आप को कीडनी - हृदय इत्यादि का डोनर नहीं मिला तो, तो भी आप चिंता मत कीजिए, आपको हम मरने नहीं देंगे, 3-D प्रीन्टर्स से नये ओर्गन छाप कर हम लगवा देंगे। ऐसी भविष्यवाणी का अर्थ क्या?

विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली होगी कि ओर्गन देनेवाले नहीं मिलें तो कोई बात नहीं, मशीन में बनाकर चिपका देंगे। पर इस भविष्यवाणी का खतरा क्या है?

 

आनेवाले भविष्य में इंसान के शरीर में कुछ मशीन्स फ़ीट किये जायेंगे या मशीन के द्वारा बनाये गए कृत्रिम अवयव बिठाये जायेंगे। यदि ऐसा हो गया तो दिक्कत क्या है? तो अपने शरीर का कंट्रोल मेडिकल माफ़ियाओ के हाथों में जा सकता है। यदि फार्मालोबी आपकी बोडी का संपूर्ण नियंत्रण करने लगे तो? तो बड़ा जोखिम खड़ा हो सकता है।

 

4)    You'll eat much less meat, an occasional treat, not a staple for the good of the environment and your health...

 

निष्कर्ष : पर्यावरण और आपके स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए माँस खाना छोड़ देना पड़ेगा, भविष्य में आपको माँसाहार बंद करना पड़ सकता है।

इस भविष्यवाणी से तो हकीकत में खुश होना चाहिए, मेरे जैसे लोग चिंता क्यों कर रहे है?

 

आपको याद है कि नहीं, मुझे पता नहीं है, फिर भी याद करा ही देता हूँ। जब योगी सरकार नयी नयी जीत कर आयी थी तब वादे के मुताबिक कई सारे बूचड़खाने बंद करवा दिये थे। तब अनेक जीवदयाप्रेमियों के साथ-साथ मैं भी खुश हो गया था, लेकिन बाद में जब गहराई में गया तब मुझे पता चला कि अवैध बूचड़खाने बंद करवाने के पश्चात् इसी सरकार ने कानूनन लाइसेन्स दे देकर कई सारे स्लोटर हाउस चालू भी करवा दिये।

 

पर्यावरण की रक्षा के नाम पर भविष्य में यदि संपूर्ण रूप से बूचड़खाने बंद कर दिये जाये तो क्या सभी नोनवेज इटर्स शाकाहारी बन जायेंगे? बिल्कुल भी नहीं, यह असंभव सपने हैं।

 

माँसाहारियों को माँस के विकल्प के तौर पर प्रयोगशाला में निमित्त (बने हुए) कृत्रिम लेब मेड मीट (प्रयोगशाला में बनाया गया माँस) दिया जायेगा। जिसे वेज मीट भी बताया जायेगा और जीवदयाप्रेमी एवं नोनवेज त्यागी ऐसे जैन-अजैनों को खाने के लिए मोटीवेट भी किया जायेगा।

जिसे Vegan meat के बारे में जानकारी नहीं है, उसे जानना जरुरी है कि, कृत्रिम माँस भी ओरिजिनल प्राणियों की कोशिकाओं में से ही बनता है। इसीलिए तो कृत्रिम माँस से बने उत्पादों का स्वाद असली माँस जैसा आता है। बेचारे भोले भाले जीवद‌या प्रेमी लोग, जिन्होंने कभी माँस चखा ही नहीं होने से जिसे पता भी नहीं है कि माँस का असलियत में स्वाद कैसा है? वो तो इस माँस को अहिंसक माँस समझकर खा लेंगे और नॉनवेज प्रेमियों को कभी कोई विरोध नहीं होगा क्योंकि उसे तो जैसा टेस्ट चाहिए वैसा ही मिल रहा है। [लेब मेड मीट के बारे में अधिक जानने के इच्छुक मेरी भविष्य में आनेवाली बुक ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ मंगवा सकते है - 9166568636]

 

पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर जंगलों के ऊपर - पशुओं के ऊपर, पशु आधारित कृषि के ऊपर / पशु द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था के ऊपर एवं जमीन के ऊपर भी नियंत्रण करने की योजना है। विश्व के सभी पशुओं पर यदि कुछ लोग नियंत्रण कर लें और गुप्तरूप से मारकर उसी के माँस से बने कृत्रिममाँस को अहिंसक माँस कहकर सभी को खिलाये तो? आगे आगे देखो, होता है क्या?

 

5)    A Billion People will be displaced by Climate change We will have to do a better Job at welcoming and integrating refugees

 

निष्कर्ष : आने वाले पाँच सालो में आपको शरणार्थियों की बहुत बड़ी संख्या देखने को मिलेगी। कितनी बड़ी संख्या है ? सौ-दो सौ करोड़ भी हो सकते है। किस कारण से? अकाल इत्यादि प्राकृतिक आपदाओं का यहाँ पर एक कारण बताया है, लेकिन अनेक कारण आपको स्वतः समझ लेना है।

 

1 अकाल, 2 युद्ध, 3 तानाशाह सरकारों की तानाशाही, 4 अराजकता, 5 बेरोजगारी, 6 गृहयुद्ध (सिविल वोर  जैसे कि हिन्दू – मुस्लिम, हिन्दू – क्रीश्चन, क्रीश्चन - मुस्लिम इत्यादि नागरिकों के आपसी युद्ध-दंगे-फसाद इत्यादि) के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में, एक शहर से दूसरे शहरों में, एक देश से अन्य देशों में जाकर बस‌नेवाले शरणार्थियों की बड़ी फौज तैयार होनेवाली है।

 

कई सारी जगह पर तो उन्हें आने से रोकने के लिए बॉर्डर सील कर सकते है। हवाई यात्राएं स्थगित की जायेगी। प्राकृतिक आपदाएँ एवं मानवसृजित समस्याओं से दुःखी होकर करोड़ो – अरबों लोग अपना देश छोड़ने को मजदूर होंगे।

 

6)    Polluters will have to pay to emit Carbon dioxide there will be a Global Price on Carbon, this will help make fossil fuels history...

 

निष्कर्ष : आनेवाले समय में गाड़ियों की सेहत नहीं देखी जायेगी, उम्र देखकर उसे कबाड में फेंकने के लिए आपको मजबूर किया जायेगा। इस भविष्यवाणी का निष्कर्ष अब जनता पर एक नया टेक्स डालने की तैयारी है, जिसका नाम है, कार्बन टेक्स... पेट्रोड-डीजल से चलने वाली गाड़ी अब इतिहास बन जायेगी। कारण स्पष्ट दिख रहा है, पेट्रोल डोलर एवं पेट्रोल से तगड़े बने (समृद्धि की चोटी पर पहुँचे) देश डूबने की कगार पर [ हमने दो साल पहले ही अपने मेगजिन में बताया था कि सन्-2026 के पहले अपने रिश्तेदारों को, मित्रों को भारत वापिस बुला लेना, बाद में शायद उनका आना मुश्किल हो जायेगा। आज अमेरिका से भगाये जा रहे इन्डियन परेशान होते दिख रहे है, लेकिन 2026 के बाद की वैश्विक परिस्थितियों को देखकर वे लोग 'नृत्यन्ति नृत्यं' करने वाले है।] अमेरिका आज तक भले ही बिग बॉस बनकर राज करता रहा हो, लेकिन सन् – 2031 के वर्ष आ रही शत्रुंजय के दादा ऋषभ की 500वी सालगिरह के पश्चात् भारत राष्ट्र सुपर पॉवर बन रहा है, लेकिन इसके पहले के 6 साल बड़े जोखिम भरे है। (2025-2031)

 

7)     You could be preparing to go to mars (मंगल ग्रह) Scientists will have worked out of how to keep you healthy in space, The Start of a journey to find alien life...

 

निष्कर्ष : मंगल ग्रह पर आपको ले जाने की वे लोग बातें कर रहे है। स्पेस और मंगल के ऊपर ले जाने के नाम पर वे परलोक में ले जाये तो कुछ कह नहीं सकते है।

एलियन (परग्रहवासी जीव) शब्द बार-बार कान पर अब आनेवाला है। आपको एलियन ढूँढने को कह रहे है... कहीं एलियन ही ना बना दें...

 

8)    Western Values will have been tested to be the breaking Point checks and balances that under Pin our democracies must not be Forgotten..।

 

(अर्थ) : पश्चिमी मूल्यों की परीक्षा उसकी चरम सीमा तक हो गई होगी। लोकतंत्र को टिकाये रखने वाली नियंत्रण और संतुलन व्यवस्था को भूलना नहीं चाहिए।

 

निष्कर्ष : मानवाधिकार, लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आज़ादी, न्याय एवं कानून का राज, सामान्यतः पश्चिमी देशों की राजनीति एवं समाज का आधार माने गये है, लेकिन अब वे 'मूल्य' किसी संकट या दबाव के कारण अति कठिन परीक्षा में से गुजर रहे है, जो कभी भी टूटने की कगार पर है।

 

सत्ता के चार स्तंभ 1) कार्यपालिका 2) विधायिका 3) न्यायपालिका 4) मीडिया...

 

यह चारो स्तंभ एक दूसरे को कंट्रोल में रखने का कार्य करते है, जिससे कोई भी स्तंभ इतना शक्तिशाली न बन जाये कि लोकतंत्र को ही खा जाये (कई बार तो ऐसा लगता है कि, एक-दूसरे को कंट्रोल करने के चक्कर में एक दूसरे के कार्यों में बाधा डालने की भी शक्ति मिल जाती है और डालते भी है।)

 

लेकिन, आनेवाले भविष्य में राजनैतिक अस्थिरता सत्तावाद, युद्ध, आतंकवाद, आर्थिक मंदी, या ध्रुवीकरण इत्यादि संकट के कारण लोकतंत्र टूटने की कगार पर है। इसलिए उसे भूलना नहीं चाहिए।

 

ऐसी सलाह WEF हमें देना चाहता है। किसी को हिदायत तभी दी जाती है, जब वो होने की तैयारी में हो। लोकतंत्र नष्ट होने की, अराजकता पुष्ट होने की तैयारी हो चुकी है। आगे भविष्यवाणी में यह आठवी सबसे अधिक खतरनाक लग रही है। संकट एवं भविष्य के संघर्ष की सूचक है।

 

धर्म करनेवालों को कुछ भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। पापियों को अवश्य टेन्शन होनेवाला है।

 

आनेवाले भविष्य में धर्म ही एक मात्र आधार बनने वाला है। पुण्य ही एक मात्र तारणहार बनेगा। या पुण्यशाली बनो या पुण्यशाली की शरण में जाने का काम करों। या धर्मात्मा बनो या धर्म के नायकों को समर्पित बनो। बेडा पार हो जायेगा।

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