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भविष्य का बालक? बालक का भविष्य? Part - 2

  • 15 minutes ago
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गत एपिसोड में स्कूल की कुछ कमजोर बाजू दिखाई गई थी। इस एपिसोड में स्कूल में पढने वाले, नहीं पढने वाले छोटे और थोड़े बड़े बच्चों पर भी किस प्रकार के आक्रमण हो रहे है, उस की बात करनी है।

 

सन् 2010 से 2025 तक जन्में हुए बच्चों को Gen. Alpha कहा जाता है। अभी-अभी नेपाल में क्रांति करने वाली युवा पीढी को Gen-Z कहा जाता है, जो सन् - 2010 से पहले पैदा हुई है। इस Gen - Alpha को यानी 10 से 15 साल की उम्र तक के बच्चों को आज की भाषा में आइ-पेड बेबी भी कहा जाता है। उन का पसंदीदा खिलौना मोबाईल और आइ-पेड है, अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्हें मोबाईल - लेपटोप चलाने में महारत हांसिल हुई है।

 

कुछ साल पहले की ही घटना है, एक हाई प्रोफाईल स्कूल के अंदर पढ़ रहे बच्चे से मिली जानकारी के मुताबिक, उस स्कूल की टीचर ने छोटे बच्चों को एक टास्क दिया था, जिसमें बच्चों को इंटरनेट के जंगल में से हैरी पोटर की कहानी ढूंढकर लानी थी। अब तो स्कूल के टीचर्स भी बच्चों को मोबाईल की पूरी छूट दे रहे है, कुछ प्रोजेक्टस मोबाईल के माध्यम से ही पूरे करने का दबाव बना रहता है, हैरी पोटर की कहानी इस प्रकार यू-ट्युब इत्यादि प्लेटफार्म पर ढूंढने में तो बच्चा किसी भी जगह भटक जायेगा। एक चीज़ ढूँढने में ऐसे अनेक दृश्यों का उसे सामना करना पड़ेगा, जो उसके बचपन को बचपन में ही छीन लेगा। मासूम बच्चों की मासूमियत छीन लेने का इस से अच्छा रास्ता क्या हो सकता है भला? कौन सी गली सेफ है? कौन सी गली गलत है, वह छोटा बच्चा कैसे पता लगायेगा? इंटरनेट की दुनिया में मानव को दानव बनाने वाले अनेक रास्ते रेडी है, इस बात को कौन समझ पाएगा भला?

 

कोरोना के समय में तो ऑनलाइन शिक्षा ऑफिश्यली शुरू करवायी गई थी और हकीकत में माँ–बाप भूल ही गए की हम घर पर भी अपने बच्चों को पढ़ा सकते है। एक माँ सबसे पहली शिक्षिका होती है और एक पिताजी शिक्षक...

 

हरिद्वार में रहनेवाला वीरेन्द्रसिंहजी नामक युवा ने तो अपनी बेटी की ओनलाईन शिक्षा का स्पष्ट रूप से विरोध  ही कर दिया। २०२० में जब विद्यालयों में ओफलाईन शिक्षा शुरू-शुरू में शुरु ही नहीं हुई तो उन्होंने अपनी बेटी को ही स्कूल में से उठा लिया। राजकोट (गुजरात) के गुरुकुल में रख दिया। कन्या गुरुकुल में उसकी बेटी की परवरिश भी बढिया हो रही है और शिक्षा भी अच्छी मिल रही है।

 

धीरे – धीरे अब छोटे बच्चों के हाथों में मोबाइल कई सारे माँ-बाप नोर्मल मानने लगे है, हालांकि यह उनकी सबसे बड़ी गलति है।

 

सन् 2015 में यु-ट्यूब ने अपनी एप्प में Y.T. kids नामका नया प्लेटफार्म लोंच किया था। YT kids का अर्थ यू-ट्यूब बच्चों के लिए...

 

Kids friendly (बच्चों के लिए अनुकूल) बच्चों के लिए प्रेरणादायी (मोटिवेशनल) कंटेंट दिखाने की प्रतिज्ञा के साथ लोंच किये गये इस वर्जन को कई सारे अभिभावक ने आवकार दिया। लेकिन बड़ी दुःख की बात यह है कि इस YT kids के विषय में कई सारे माँ-बाप अंधेरे में है।

 

YT kids की पोलिसी स्पष्टरूप से निर्धारित की गई है कि, इस प्लेटफार्म के उपर वल्गारीटी (अश्लीलता) को फैलाने वाले या हिंसा की प्रेरणा देने वाले (वायोलेन्स मोटीवेशनल) वीडियोज हम नहीं दिखायेंगे। लेकिन अफसोस इस बात का है कि, बच्चों के कार्टून कंटेट में इतनी खतरनाक बातें दिखाई जा रही है कि, उसे देखने वाले बच्चे बड़े होकर इन्सान ना रहे, शैतान ही बन जाये।

 

Dr. Free Hess, एक बच्चों के डॉक्टर (पीडियाट्रीक) है, इस बाल रोगचिकित्सक डॉ. ने एक बार अपने ही बेटे को जब इस प्लेटफॉर्म पर आ रही कार्टून वीडियो को देखते हुए मार्क किया तो वह चौक गई।

 

उस वीडियो में 4 मिनट 44 सेकेण्डस पर अचानक एक युवा कार्टून के बीच में आ जाता है और आकर देख रहे दर्शक बच्चों को आत्महत्या कैसे करनी? उसकी प्रेरणा देता है। अपने हाथों की किस नस को काटने से आप इज़ीली (सरलता से) आत्महत्या कर सकते है? इस की गाईडलाईन बच्चों के वीडियोज़ में आती देखकर डॉ. फ्री ने युट्यूब को अपनी शिकायत दर्ज करवाकर अनुरोध किया कि, ऐसे आत्महत्या प्रेरक वीडियो ना दिखाये जाये।

 

युट्यूब ने बच्चों को स्युसाईड का सरल रास्ता बताने वाला वह दृश्य हटाया नहीं। रिपोर्ट करने पर भी कुछ महिनों के बाद वो ही वीडियो अपनी सहेली के घर पर फिर से उसके बेटे के द्वारा देखा गया तो डॉ. सहम गयी। मोबाईल में As it is वैसे का वैसा वीडियो चलता हुआ देख उसे पता लग गया की, यूट्यूब में रिपोर्ट करने का कोई नतीजा नहीं निकला है। बाद में रिसर्च करने पर डॉ. को पता चला कि, यु-ट्यूब में बच्चों को बिगाड़ने वाले कई सारे वीडियो, बच्चों को सुरक्षित रखने का दावा करने वाले प्लेटफार्म से ही घडल्ले से प्रसारित हो रहे है और इस विषय में शिकायत करने का परिणाम भी शून्य ही आ रहा है, मानों भैंस के आगे बीन बजाना...

 

अभी का समय इतना खतरनाक है कि कोई भी इंसान अब किसी पर भी आँखें मूंद कर भरोसा नहीं कर सकता है। अब तो दुर्जनों की नयी पोलिसी भी यही है, विश्वास जीत कर ही सज्जनों का विश्वासघात किया जाये।

 

बच्चों के लिए एक्सट्रीमली डेन्जरस कंटेन्ट, बच्चों के नाम से ही चल रहे YT कीड्स पर चल रहे है, जिसमें पोर्नोग्राफी, हिंसकता के साथ साथ ड्रग कल्चर, गन कल्चर, स्यूसाइड कल्चर को प्रमोट करनेवाले वीडियो दिखाये जा रहे है। बच्चों को गाली सिखाने वाले यानी ओफिन्सीव (आक्रामक) भाषा सीखाने वाले वीडियो की भी भरमार है और दावा ठीक उस से उलट ही किया जा रहा है कि ऐसा कुछ भी बच्चों को नहीं दिखायेंगे। यह प्लेटफार्म बच्चों के लिए परफेक्ट एजुकेशनल प्लेटफार्म है।

 

इस YT कीड्स को जॉइन करने से पहले आपको बच्चे का Age Group लिखना पड़ता है।

 

O to 4 Years, 4 to 8 Years, 8 to 12 Years, इस प्रकार तीन अलग-अलग उम्र के वर्ग में से कोई भी एक प्रकार के वर्ग का नाम लिखने पर, उस के मुताबिक अच्छे-अच्छे कार्टून हम आपको दिखायेंगे, ऐसी झूठी बातों से बच्चों के अभिभावकों को फसाया जाता है। फिर छोटी उम्र के ग्रुप में ड्रग्स-कोक को प्रमोट करने वाला कंटेन्ट, मेथाफोटोन ड्रग्स की लेब दिखाई जाती है। इतना ही नहीं ड्रगकेन्डी कैसे प्राप्त की जाती है ऐसा इलीगल कंटेन्ट 5 साल से नीचे की उम्र के बच्चों के लिए सजेस्ट (सूचित) हो रहा था। नव से बारह साल की उम्र के ग्रुप मे शस्त्र-अस्त्र (पिस्तोल-बंदुकें) कैसे पाना, उस की बातें शेयर हो रही थी।

 

Pepa Pig नाम के कार्टून शो के अंदर कार्टून कैरेक्टर को आग लगाकर जिंदा जला देनेवाले दृश्य दिखाये गये है। आप एक बार सोचो की बच्चों के कोमल दिमाग में ऐसे दृश्य क्या असर डाल सकते है? बच्चों को कितना निष्ठूर - कठोर, क्रूरहृदयी बना सकते है। वेम्पायर – शैतान दौड़ रहा हो, या कोई रोड एक्सीडेंट हो रहा हो, खून बह रहा हो या मर्डर हो रहे हो, किसी के कान-नाक–होठ छोटासा मीकी माउस कैची से काट रहे हो, ऐसे दृश्य दिखा – दिखा कर आपके बच्चे के कोमल मस्तिक को अत्यंत हिंसक-क्रूर बना देने की क्षमता वाले कार्टून सीरीज को, या कार्टून प्लेटफार्म को सेफ एण्ड सिक्योर कैसे मान सकते है भला?

 

Killing Somebody, Cutting Somebody, Animal Shooting (शिकार) इत्यादि के वीडियो फ्रीक्वन्टली (लगातार) दिखाते – दिखाते बच्चों को क्रूर बनाना आसान हो जाता है।

 

CNBC नाम की चैनल ने एक डॉक्टर का इंटरव्यू लिया था। डॉ. डोना (Donna Volpitta) ने बताया कि, जब इक्साइटिंग या डर पैदा करने वाले वीडियो बच्चों को दिखाए जाते है, तब बच्चों के दिमाग़ में Feel Good Hormone यानी डोपमाईन रिलीज़ होने लगता है।

 

किसी बच्चे को जब अत्यधिक डराया जाता है, तब उसका मानसिक विकास रुकता है, वह मानसिक रूप से विकल, भयभीत बना रहता है, डम्ब बनता है। उसी प्रकार काई बालक जब दूसरों को डराने वाले वीडियो देखता है, तब भी उसका विकासरोध होता है, और यह डम्ब बनता है। फ़ीयरफ़ुल (भयवर्धक) और स्ट्रेसफुल (मानसिक तनाव वर्धक) वीडियो देखने पर दिमाग के दो हिस्सों का विकास नहीं हो पाता है।

 

दिमाग का 1) Pre Frontol 2) Frontol lobe इन दोनों हिस्सों का डेवलपमेन्ट बहुत ही जरुरी है। बच्चों के यह दोनों पार्ट विकसित होने अत्यंत आवश्यक है। कोई भी बच्चा Smart (होशियार) तभी बनेगा, जब उस के Pre Frontol और Frontol lobe विकसित होंगे।

 

Pre frontal cortex का कार्य क्या है?

Pre Frontal cortex से बच्चें की 1) Thinking Capacity (विचार करने की क्षमता) 2) Problem Solving power (समस्याओं का निराकरण करने की ताकत) 3) Emotions (लगाव - प्यार करने की क्षमता) विकसित होती है।

 

1) Logic 2) Reasoning 3) Judgement 4) Decision making Power (तर्क करने की, कारण समझने – समझाने की, न्याय एवं निर्णय करने की क्षमता – शक्ति) का यदि विकास करना है तो Frontol Lobe का विकास होना जरूरी है।

 

Your frontol lobe handles many abilities. Including creativity, social understanding, Voluntary muscle movements, Learning and Recolling information (आपका फ्रन्टल – लोब अनेक प्रकार की शक्तियों को हन्डल करता है, जैसे कि आप की सर्जनशक्ति, सामाजिक समझदारी, आपके स्नायुओं की स्वैच्छिक हिलचाल करने की आपकी शक्ति, पढ़ने की एवं याद रखने की और उस पढ़े हुए को क्रमबद्ध याद रखने की ताक़त)

 

अमेरिका की एरिजोना शहर की चाइल्ड साइको थेरेपिस्ट, Natasha Daniels ने CNBC चैनल को जो इंटरव्यू दिया, उस में बताया कि, विगत पाँच वर्षों से उनके क्लीनिक में बच्चों के केसिज बहुत ही बढ़ गए है, जिसका फार्मेशन (प्रारूप) ऐसा है की, वो सारी समस्याएँ एक ही दिशा का संकेत दे रही है, Youtube Anxiety Trigged Problems (Over the five years, she said, she has seen a rise in cases of children Suffering from anxiety triggered by Videos they have watched on Youtube)

 

बच्चों के बारे में आज का विज्ञान ऐसा बता रहा है की, जन्म से लेकर शुरु के 10 साल तक डबल स्पीड में  बच्चों का दिमाग का विकास होता है, और उसी 10 साल (शुरू के 10 साल के दौरान तो बच्चों के हाथों में यदि मोबाइल पकड़ा दिया जाये या ना छुड़वा पाये तो क्या - क्या खतरनाक हादसे हो सकते हो, उसकी चर्चा अगले एपिसोड में... अलविदा)

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