
जिंदगी की राहों में परमात्मा से सीधी मुलाकात भले ही संभव न हो, लेकिन कुछ फरिश्ते हमें ऐसे जरूर मिल जाते हैं, जो मानो परमात्मा का ही पैगाम लेकर आए हों।
जलगाँव (महाराष्ट्र) के पास स्थित कुसुम्बा गाँव में दीपस्तंभ संस्था द्वारा संचालित ‘मनोबल विद्यालय’ ऐसा ही एक अद्वितीय उदाहरण है। इस विद्यालय की विशेषता यह है कि यहाँ पढ़ने वाले विद्यार्थी NEET, IIT जैसी कठिन परीक्षाओं में आसानी से सफलता प्राप्त करते हैं।
One Minute Please... मैं यहाँ किसी स्कूल या कॉलेज की प्रशंसा करने नहीं आया हूँ। यह ‘मनोबल विद्यालय’ अन्य सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों से अलग और खास है। इसकी खासियत यह है कि यहाँ पढ़ने वाले विद्यार्थी शारीरिक रूप से विकलांग, प्रज्ञाचक्षु, अनाथ या मूक-बधिर होते हैं।
जी हाँ, जिन्हें समाज अक्सर बोझ मान लेता है, ऐसे गरीब, अनाथ और विकलांग बच्चे ‘मनोबल विद्यालय’ की सहायता से, अपने दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम के बल पर IAS Officer, Judge, Software Engineer और अन्य ऊँचे पदों पर पहुँचते हैं।
इस ‘मनोबल’ विद्यालय में जरूरतमंदों के लिए प्रदान की जाने वाली सुविधाओं पर एक नजर डालते हैं:
प्रज्ञाचक्षु (दृष्टिहीन व्यक्तियों) के लिए E-Books, Audio Books और Braille Books 24/7 उपलब्ध हैं।
2. प्रज्ञाचक्षु, बधिर ओए मूक विद्यार्थियों को एक ही Classroom में बैठकर Class Attend करने की सुविधा देने के लिए Special Furniture और Digital Board की व्यवस्था की गई है।
3. शौचालयों में Panic Alarm Button है और गीले क्षेत्र में ऐन्टी-स्किड फर्श लगाये गए है।
4. दृष्टिहीन व्यक्ति पूरे मनोबल संस्थान में स्वतंत्र रूप से घूम सकें, इसके लिए स्पर्श-संवेदनशील फर्श संकेतक लगाए गए हैं।
5. सभी क्षेत्रों में QR Code और Apps की सुविधा है।
6. 3 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत इस Campus में :
· 1384 दिव्यांग,
· 3940 आर्थिक रूप से कमजोर छात्र,
· और 224 अनाथ बच्चों के रहने और पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था की गई है।
7. PSC, SSC, Bank, Railway, MHT CET, Law, MBA, जैसे अनेक स्नातक-स्नातकोत्तर-Phd जैसी पदवियाँ यहाँ मिलती है।
8. श्रवण बाधित (बधिर) लोगो के लिए इंक्शनलूप सिस्टम की सुविधा दी गई है।
Advance Technology की सहायता से यहाँ जरूरतमंदों और अक्षम व्यक्तियों को ऐसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जो उनके आत्मविश्वास और हौसले को दोगुना कर देती हैं।
विहार के दौरान हमने 'मनोबल' के छात्रों से मुलाकात की, तो उनकी ताजगी देखकर हम आश्चर्यचकित रह गए।
जिनकी आँखों में रोशनी नहीं थी, उनके चेहरों पर भी एक अनोखी चमक थी, क्योंकि उनका भविष्य आशा की रोशनी से जगमगा रहा था।
जिन्हें कभी समाज और परिवार ने ठुकरा दिया था, उनके हौसले बुलंद थे, क्योंकि आज वही समाज उन्हें IAS Officer के Uniform में देख रहा था।
'मनोबल' ने उनका मनोबल बढ़ाया, जो केवल शरीर से अपाहिज थे।
और इस ‘मनोबल’ की नींव कहो या शिखर.... इसके पीछे केवल एक ही व्यक्तित्व है... एक ही फरिश्ता है... यजुर्वेंद्र महाजन।
जिन्हें प्रकृति ने हाथों से वंचित रखा, उनके जीवन को थामने का जिम्मा इस फरिश्ते ने उठाया। जो पैरों से चलने में असमर्थ थे, उनके जीवन को प्रगति की राह दिखाई। जो जीने की आशा भी खो बैठे थे उनका जीवन बनाया है इस फरिश्ते ने...
श्रीमान यजुर्वेंद्र महाजन वास्तव में इन विद्यार्थिओं के शिक्षक ही नहीं, बल्कि उनके जीवन में एक पिता के समान हैं… और एक दृष्टि से परमपिता भी।
1 कमरे में 11 अपाहिज छात्रों के साथ शुरू हुई इस ‘मनोबल’ शाला में आज हज़ारों छात्र अपनी भाग्यरेखा बदल रहे है।
जिन्होंने अपने विवाह के अवसर पर मिली धनराशि का भी उपयोग इन बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए किया, ऐसे यजुर्वेंद्र भाई को TATA, BIRLA जैसे अनेक उद्योगपति हर साल करोड़ों का दान इस ‘मनोबल’ विद्यालय के विकास के लिए दे रहे है।
जिनके प्रयासों को प्रारंभिक दिनों में समाज का उपहास सहना पड़ा, वही ‘मनोबल’ विद्यालय आज राष्ट्रपति द्वारा भारत की उत्कृष्ट संस्थाओं की श्रेणी में सम्मानित हो चुका है।
जब आप भी इस ‘मनोबल’ विद्यालय की मुलाकात लेंगे, तब आपको महसूस होगा कि जीवन में शिकायत करने के लिए कुछ भी नहीं है।
मेरी अनुभूति कहती है कि Depression से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति को इस ‘मनोबल’ का दौरा ज़रूर करना चाहिए। यहाँ का सकारात्मक वातावरण और ताजगी किसी प्रभावी काउंसलिंग की तरह काम करेगी।
इस प्रेरणादायक कथा को करीब से जानने और दीपस्तंभ संस्था द्वारा संचालित ‘मनोबल’ विद्यालय का अनुभव लेने के लिए यहाँ आएं, और इस दुनिया के अनमोल फरिश्ते श्री यजुर्वेंद्र भाई की पीठ थपथपाएं।
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