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Updated: Apr 7




फेथबुक के प्लेटफार्म से हमने एक साल पहले जो-जो बातें बताई थी, वो बातें आज सच साबित हो चुकी हैं, इसका हमें आनंद भी है और अपरंपार दु:ख भी।

हमने गत साल बताया था कि, वर्तमान रोग में बताई जा रही दवाई कितनी कारगर होगी, वह खोज का विषय है, मगर ये दवाई देने के लिए लोगों में भय का माहौल जरूर खड़ा किया जायेगा। जो भी मेरे जैसे लोग इनकी भ्रमजाल में एवं भयजाल में नहीं फँसेंगे, वैसे लोगों को अन्य तरीके से परेशान किया जायेगा। राशन-पानी, सरकारी सहायता, बिजली, फोन का सिम, बैंक अकाउंट, मंदिर, धर्मस्थान, सामाजिक त्यौहार से लेकर दुकान और घर तक बंद कर देने की धमकी, दादागिरी और प्रेशर। और फिर भी ना माने तो पुलिसफोर्स लगाकर, घेरकर, पकड़कर जबरदस्ती इंजेक्शन की सुई घुसाने की अंतिम चेष्टा। बाप रे बाप…

मेरी दृष्टि में इससे बड़ा अन्याय और कोई नहीं हो सकता है। यह एक प्रकार का बलात्कार जैसा जघन्य अपराध है। माँ की उम्र की महिला को जबरदस्ती पकड़कर पुरुष पुलिस की उपस्थिति में महिला पुलिस गैरकानूनी तरीके से कपड़े हटाकर दवाई कैसे दे सकती है ?

मैंने गत साल जो-जो आकलन किये थे, वे सच सिद्ध हुए हैं। अब बात करनी है, भविष्यवेत्ताओं की…आप सभी को पता ही है कि, कुछ बड़े-बड़े पद पर आसीन लोग भविष्यवाणियाँ कर रहे हैं। वे किस आधार पर कर रहे हैं, उसका रहस्य आम जनता नहीं जान पाती है। मगर, मैं इसका राज़ जरूर बताना चाहूँगा।

राज़ बताने से पहले मैं पूर्वभूमिका बताना चाहूँगा। गत वर्ष जब डर का माहौल खड़ा हुआ था तब कुछ जानकार लोग बता रहे थे कि, ज्यादातर मौतें अस्पताल में ही हुई है। घर पर मरने वाले लोग ना के बराबर हैं, इसलिए हमें अस्पताल में जाने से डरना चाहिए या बचना चाहिए।

इसी प्रकार कुछ लोग ऐसा भी बता रहे थे कि महामारी की असली वजह कुछ फार्मा कंपनियों की गहरी साजिश है, इसलिए जिन्होंने टीका नहीं लगवाया हो, उन्हें भी कुछ नहीं होगा।

मगर गत साल के दावे इस साल झूठे पड़ते भी दिखे। जो अस्पताल नहीं गया था उसकी घर पर भी मृत्यु हुई। जो वृद्ध नहीं थे, ऐसे युवाओं की भी मृत्यु हुई। जिसने टीका नहीं लगवाया, ऐसे लोगों की भी अचानक मौतें हुईं।

ऐसी बातें देखकर या सुनकर कोई भी व्यक्ति असमंजस में पड़ जाये ऐसी पूर्ण संभावना है।

आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि, सिर्फ शहर में ही नहीं, इस बार कुछ-कुछ गाँवों में भी मौत का प्रमाण अत्यधिक देखा गया, जहाँ टीकाकरण भी ना के बराबर हुआ था [हालांकि, इससे यह कतई सिद्ध नहीं होता है कि वर्तमान दवाई (टीका) वर्तमान महामारी में सुरक्षा प्रदान कर रही है, या उसके कोई भी प्रकार के Side effects नहीं हैं।]

मैं ना तो यहाँ पर कोरोना के बारे में कुछ भी कहना चाहता हूँ, ना ही टीकाकरण के बारे में कुछ भी बोलना चाहता हूँ। मैं दो बातें यहाँ पर बताना चाहूँगा।

इस बार भरतपुर इत्यादि शहरों में घर-घर एलोपेथी दवाइयों की किट बाँटी गई। जिस किट में डोलो, एज़िथ्रोमाईसीन इत्यादि पेरासिटामोल से युक्त दवाइयाँ थीं। लोगों को बुखार आने पर इसी को लेने की हिदायत दी जाती थी। साथ में टेलिमेडिसिन भी शुरू की गई, जिसमें आप अपने फोन पे Presto या Fine-me जैसी एप डाउनलोड कर लो और डॉक्टर्स से फोन पर ही परामर्श लेकर अपनी दवाई स्वयं ले लो।

पूर्व में वैदराज हाथ की नब्ज देखकर, शरीर की क्षमता देखकर, रोग की स्थिति एवं लक्षण देखकर, वातावरण की परिस्थिति देखकर दवाईयाँ देते थे और आज…?

आप जानकर चौक जायेंगे कि, पेरासिटामोल को विश्व की सबसे खतरनाक (Most Dangerous Drug) दवाई की सूची में स्थान मिला है और विश्व के कई देशों में पैरासिटामोल आज भी प्रतिबंधित है।

बुखार को सरलता से उतारने के दूसरे तरीके जब हमारे पास हो तो एक पर ही क्यों निर्भर रहें ?

घर पर मृत्यु का एक कारण क्या यह नहीं हो सकता है कि, घर पर ही अपनी चिकित्सा करना, वो भी स्वयं के द्वारा ही।

हमनें तो ऐसे कईं लोगो किस्से देखे जो घर पर ही एलोपैथी लेने के चक्कर में बहुत ज्यादा परेशान हुए, उनकी मृत्यु तक हुई।

दूसरा प्रश्न, जिस गाँव में ना तो अस्पताल था, ना एलोपैथी दवाई, वहाँ पर मृत्यु प्रमाण क्यों बढा़ ?

मेरे पास कईं सारे गाँवो के ग्राउंड रिपोर्ट आये हैं, जो मैं आपको बताना जरूरी समझता हूँ।

उत्तरप्रदेश के जाफराबाद ग्राम सभा में पत्रकार राहुल पांधी पहुँचा। वहाँ सिर्फ 20 दिन में 32 मृत्यु हुई थी। राममनोहर दुबे (वहाँ के ही निवासी) ने साफ-साफ कहा, मेरी  45 साल की पत्नी की मृत्यु 5G टावर लगाने के बाद हुई है। जब से 5G टावर लगाया गया है (सिर्फ 20 दिन) तब से गाँव में हड़कंप मचा हुआ है।

जाफराबाद के आस-पास के गाँवो में अभी तक 5G टावर नहीं लगाये गये हैं तो वहाँ पर शांति है। जाफराबाद में जितनी भी मौतें हुई सभी 40/45/50 की उम्र के थे। सभी को साँस लेने में दिक्कतें आ रही थीं, यानी ऑक्सीजन की कमी महसूस हुई थी। वहाँ के ग्राम के प्रधान कुशवाहा ने अल्टीमेटम दे दिया है कि यदि सरकारी कर्मचारी इस टावर को नहीं हटाएँगे तो हम तोड़ डालेंगे।

हरियाणा के डल्ली गाँव के किसान जयपाल सिंह कुंडू ने भी इसी बात का जिक्र किया। जिस दिन से गाँव में 5G टावर इंस्टॉल किया गया। उसके कुछ घंटों में ही गाँव में मौतें होने लगी। कभी-कभी तो एक ही दिन में 4/5 मौतें हुई थी।

कुछ ही दिनों में यह आँकड़ा 65/70 तक पहुँच गया। इस गाँव में तो जवान लोग भी मारे गये थे। शुरू-शुरू में तो गाँव के लोगों को कुछ समझ में ही नहीं आया कि मौत की असली वजह क्या है ? (यह बात मई महीने की है।)

आखिर सभी ने मिलकर 5G टावर की लाइन ही काट दी तो आप आश्चर्य करेंगे, बाद में एक भी मृत्यु नहीं हुई। और लगातार चल रहा मौत का सिलसिला गाँव वालों की सूझबूझ से थम गया।

जो हालत डल्ली गाँव की थी, वही हालत मोखरा, मुंडा, मांडोगी, कनड़ी और सिरसा जिले के कुछ गाँवों की थी। कहीं पर 15, कहीं पर 50, कहीं पर 40, कहीं पर 60 मौतें चंद दिनों में हुई थीं।

हरियाणा कुरुक्षेत्र के गाँव लड्ढा में लगे ‘Jio’ के टेलिकॉम टावर को जब 5G की फ्रीक्वेंसी में बदला गया तो जनता और किसान यूनियन ने इसका पुरजोर विरोध किया। जनता के विरोध से मजबूर होकर 19 मई, 2021 को अंबाणी कं. को वह टावर वापस अपनी पुरानी फ्रीक्वेंसी पर लाना पड़ा।

इसकी हकीकत जानने के लिए मैंने नोंइडा के पत्रकार महोदय श्री कपिल बजाज को पूछा, तो उनका कहना था कि, ‘5G एक मिलिट्री टेक्नोलोजी है, जिसका इस्तेमाल शत्रुसेना को घेरने और मारने के लिए किया जाता है।’

आप सोचो, यदि यह बात सच है तो मुम्बई और दिल्ली जैसे शहरों में हुई अत्यधिक मौतों का सच भी आपके सामने बेनकाब हो जायेगा। अब लोग एकत्रित होकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने जायेंगे, तो शायद एक अदृश्य शत्रु से उन्हें सबसे पहले लड़ाई लड़नी पड़ेगी और उसका नाम होगा- 5G

अभी भी आप भविष्य के बारे में आशान्वित हैं, तो बता दूँ कि, जोन होपकिन्स यूनि. ने अभी से घोषित कर दिया है कि, सन् 2026 से 2028 तक sparsh (स्पार्स) नामक वायरस तहलका मचाने वाला है। दुनिया इस वायरस के दुष्परिणाम से सचेत रहे, इसलिए हम आपको बता रहे हैं।

हकीकत कुछ और ही है। सन् 2026 से शायद 6G लॉन्चिंग की तैयारियाँ शुरू कर दी जाने वाली हैं। हमें बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है। हमें समस्याओं की जड़ को समझने की जरूरत है, यदि वो समझ में आ जाएगी तो उस जड़ को काटना भी सरल हो जाएगा।

(क्रमश:)

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