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Updated: Apr 7




(यहाँ पर दी गई जानकारी को शांत चित्त से अंत तक पढ़ने का अवश्य श्रम करें।)

ऑस्ट्रिया के जिस वैज्ञानिक की बात से पूर्व का लेख अधूरा छोड़ा था, उस बात का अनुसंधान करते हुए आज इस लेख की शुरुआत करते हैं। 

कुछ दिन पूर्व बार एसोसिएशन के प्रमुख श्री नीलेशभाई ओज़ा के द्वारा देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में दायर की हुई याचिका में दलील रखी गई थी, कि हमें टीका के पश्चात होने वाले रिएक्शन, या मृत्यु के बारे में डाटा उपलब्ध करवाया जाए। हमारी मांग है कि कितने लोगों को टीका लेने से क्या-क्या फायदा मिला, उसकी भी सूची दी जाए इत्यादि….

तब CJI (Chief Justice of India) ने सरकार से इस बारे में जवाब मांगा था। (आश्चर्य की बात है कि, लोगों के जीवन-मरण से जुड़े ऐसे मामलों की सुनवाई भी कोर्ट में बड़ी देरी के बाद की जाती है और ऐसी संवेदनशील चीजों में भी बहुत ही ढीलाई बरती जाती है, जो आरोपी है, उससे विनंती के सूर में पूछा जा रहा है।) सरकार ने जो जवाब दाखिल किया, वह चौकाने वाला था। 

सरकार ने कहा, ‘यदि  हम टीकाकरण से जुड़े डाटा सार्वजनिक करेंगे तो लोग टीका लेने से हिचकिचाएंगे (वेक्सीन हेजिटेंसी आम जनता में बढ़ेगी) इसीलिए हम इसे प्रकाशित नहीं कर सकते हैं।’

सच तो यहां पर ही उजागर हो जाता है। जो व्यक्ति थोड़ा बहुत भी समझदार होगा, वो इस जवाब से पूरा का पूरा सच समझ लेगा कि खेल क्या चल रहा है? सच्चाई कड़वी होती है ऐसा सुना था, अब प्रत्यक्ष है।

 ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक ने जब इस सच्चाई को खोलने का प्रयास किया, तो आधे वक्तव्य में ही उसे उठा लिया गया और 10 दिन में उसकी मौत हो चुकी थी। ऐसा उसने क्या कहा था? 

आपके शरीर में टीके के माध्यम से एक ऐसी चीज डाली जा रही है, जो अंदर जाकर रक्त वाहिनी में नैनो रेजर (सूक्ष्म ब्लेड) बन जाती है और जितना रक्त परिभ्रमण तेज होता है, उतना वह अधिक तेजी से काम करता है, जिसके कारण फिटनेस के लिए प्रसिद्ध ऐसे कन्नड़ पिक्चरों के हीरो राजकुमार जैसे या सिद्धार्थ शुक्ला (बिग बॉस सीजन-13 के विनर) जैसे फटाफट ऊपर जा रहे हैं। 

जो लोग कसरत, योगा, प्राणायाम इत्यादि से स्वयं को फिट रखते आए थे, वे लोग इसकी चपेट में जल्दी आ रहे हैं।

क्योंकि ग्रेफाईन से बनी ब्लेड रक्त के अंदर ही रहकर रक्तवाहिनी (नली) को अंदर से काटती जाती है। आश्चर्य की बात यह है कि, खेल मैदान में फुटबॉल या हॉकी जैसे खेल के बीच में खिलाड़ी गिर जाए, उसके नाक में से, मुंह में से अचानक खून निकलने लगे, ऐसे अनेक किस्से पिछले एक-दो साल में बन चुके हैं। वे लोग On the spot खत्म भी हो चुके हैं, क्योंकि जो जितना तेज, उसको उतनी ही ज्यादा समस्या, और जो जितना शांत, आलसी, उसको इतनी समस्याएं देरी से आएगी। 

एक रिसर्च यह भी कह रहा है कि, (टीका लेने के बाद) जो इंसान अपने शरीर में प्रकृति विरुद्ध हानिकर पदार्थ ज्यादा लेगा, उसे भी ज्यादा समस्याएं कर सकता है और जो इंसान संयमित जीवन जी रहा है, उसे लंबे अरसे तक शायद ही कुछ समस्या आए। (छट्ठे प्रश्न का उत्तर पूर्ण हुआ, अब सातवें और आठवें प्रश्न का उत्तर…) 

जो लोग टीकाकरण के खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, उन्हें खास बताना है कि, एकांत दृष्टि छोड़कर विस्तृत दृष्टि से, अनेकांत दृष्टि से सोचो, क्योंकि अब केवल टीके में ही नहीं, खाने पीने की अनेक चीजों में भी वो ही चीज डाली जानी है, जो शरीर के लिए बहुत ही हानिकर सिद्ध हो चुकी है। 

दृष्टांत के तौर पर फेरोफ्लुड… एक प्रकार का सेमि लिक्विड द्रव्य है। (जो पूरा का पूरा प्रवाही भी ना हो और धन भी ना हो, उसे सेमी लिक्विड कहते हैं) इस बारे में रिसर्च क्या कहता है? 

It is a Fluid (usually an organic Solvent or water) Each MagneticFerrofluid is a Liquid that is a Attracted to the poles of a Magnet. CLiquid Made of Nano scale Ferromagnetic, or Ferrimagne-tic, polloidal articles Suspended in a Carrier Particle is tho-roughlnoparticles of Iron and When you apply a Magnetic Field ty coated with a Surfactant to inhibit clumping.

Ferro fluid made of Nao them, They Follow the Mag-netic Field line, In this Spiky Pattern Here.

(हिंदी रूपांतरण – फेरों फ्लुड एक ऐसा प्रवाही है, जो चुंबकीय ध्रुव की ओर आकर्षित होता है। वह (फेरो फ्लुड) एक ऐसा धुंधला सा प्रवाही है जो ‘नेनो (सूक्ष्म)’ नाप के फेरो मेग्नेटिक या फेरी मेग्नेटिक से बना है। इसका द्रव्य करियर बनने वाले प्रवाही से मिश्रित रहता है (जो कि पानी या ऑर्गेनिक द्रव के रूप में रहता है)

प्रत्येक चुंबकीय द्रव्य सर्फेक्टन्ट से आवरित (कोटेड) रहता है, जो उन द्रव्य के तत्त्व छोटे-छोटे (अणुओं) पार्टिकल को इकट्ठा होने से रोकता है। फेरों फ्लूईड नेनो (सूक्ष्म) लोह के सूक्ष्म अणुओं से बना हुआ है। और… जब चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में उसे लाया जाता है, तब वह चुंबकीय क्षेत्रीय रेखा का अनुसरण करता है और… नुकीला (धारदार) बन जाता है।)

वर्तमान में जो टीके दिए जा रहे हैं, उससे हृदय संबंधित रोग बहुत ज्यादा बढ़े हैं (ऐसा मैं नहीं कहता हूं, मुख्यधारा का मीडिया, राजस्थान पत्रिका का फ्रंट पेज स्वयं कह रहा है, कि 82.5 प्रतिशत लोग  स्वीकार कर चुके हैं कि, टीका लेने के पश्चात हृदय कमजोर हो चुका है।) 

हमने इससे पूर्व के लेख में भी स्पष्ट किया था कि, शरीर का अपना मैग्नेटिक फील्ड तीन स्थान में है (1) मस्तिष्क (2) हृदय (3) नाभि के नीचे का हिस्सा… 

जब से टीके के माध्यम से ग्रेफाईन शरीर में अंदर डाला गया है, तीनों स्थान डेमेज (क्षतिग्रस्त) होने के समाचार लगातार कान पर आ रहे हैं। किसी को ब्रेईन स्ट्रोक, किसी को हार्ट फैल, तो किसी को बच्चा पैदा करने में समस्या… 

हार्ट बिगड़ने पर वैज्ञानिक (यहां पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा खरीदे गए वैज्ञानिक समझना है।) सलाह दे रहे हैं कि, हार्ट रिलेटेड डिसीज के अंदर फेरोफ्लुईड को उपयोग में लिया जा सकता है। और इस प्रवाही को शरीर के अंदर सुई के माध्यम से डाला जा सकता है, जो दिल को अच्छा करने में उपयुक्त है (हकीकत में ज्यादा समस्याएं खड़ी करेगा क्योंकि फेरोफ्लुईड सुक्ष्म लोह कणों से बना है। चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से प्रभावित भी होता है।) 

कुछ वैज्ञानिकों की थ्योरी तो और भी हास्यास्पद है, वे लोग कह रहे हैं कि, फेरोफ्लुईड शरीर में फैल जाएगा, शरीर में विभिन्न अंगों में फैली बीमारियों को एकत्रित कर लेगा और फिर जब शरीर के बाहर चुंबक रखा जाएगा तो चुंबक वाले हिस्से में पूरे शरीर में फैला फेरोफ्लुईड एकत्रित हो जाएगा, फिर बीमारियों को आसानी से निकाल दी जाएगी।

अब यहां पर हम एक विस्फोटक और खतरनाक जानकारी शेयर कर रहें है, क्यों कि पूरी दुनिया आज टीकाकरण के खिलाफ धीरे-धीरे लामबंध होती जा रही है और दिक्कत यह है कि जब दुश्मन अपना मोहरा बदल लेता है, तब दुश्मन के नए मोहरे को समझने में हम बहुत देर कर देते हैं। 

रावण लगातार रूप बदल रहा था, अतः लक्ष्मणजी एवं रामचंद्रजी को भी उसके मूल रूप को ढूंढ कर मारने में देर हो रही थी। जब दुश्मन एक ही रूप में हो तो उसे समझना आसान होता है। लेकिन जब अनेक रूप में हमारे आजू-बाजू हो तब हम असमंजस में पड जाते हैं। 

हम बूस्टर डोज के खिलाफ लड़ने की सोचे, तो नाम बदल कर आ जाएगा प्रिकोशन डोज। हम मोन्सेन्टो कंपनी के खिलाफ (जीनेटीकली मॉडिफाइड बीज बनाने वाली कंपनी का नाम मोन्सेन्टो था।) लड़ने की तैयारी करें तो पता चलता है कि अब मोन्सेन्टो बेयर कंपनी में मर्ज हो चुकी है, अब मोन्सेन्टो बीज नहीं बनाती है।

100 साल भारत  को गुलाम बनाने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हम कुछ करने की सोचें, तो पता चलता है कि उस कंपनी के मालिक रोथ्सचाईल्ड ग्रुप ने उसे भारतीय लोगों को ही बेच दी है। यह लड़ाई सूक्ष्म बुद्धि वाला ही लड़ सकता है, वरना क्या होगा कि हम सिर्फ नाम एवं बाह्य रुप के सामने जंग लड़ते लड़ते थक जाएंगे, दुश्मन लगातार नाम एवं बाह्य रूप बदल रहा है। बदलता रहता है। 

करौली में जिस मुस्लिमों की दुकानें जलाई गई, बाद में पता चला कि वो दुकाने तो असलियत में हिंदू भाईयों की ही थी, मुस्लिमों ने तो उसे किराए पर रखा था। हिंदुओं के द्वारा ही हिंदुओं का भयानक नुकसान हो गया।

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