top of page

जन्मदिन मनाने का वर्तमान ट्रेण्ड का जन्म कैसे हुआ?



Birthday trend

गुजरात के एक शहर में हमारा चातुर्मास था। वहाँ पर स्थित एक कोलेज की यह सत्य घटना है। हृदयविदारक है, फिर भी कहना मेरी मजबूरी है। एक युवा का जन्मदिन था। मित्रों ने उस युवा को जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए प्रेशराईज किया। कुछ हटके करने के चक्कर में युवा को बांधकर इतना परेशान किया, ऐसा घायल किया, की जिसका जन्मदिन था, उसी युवा का मृत्युदिन वो बन गया।

 

ऐसी क्रूरता और विकृति आयी कहाँ से? एक सिक्रेट सोसायटी के नियमों के बारे में मैंने सुना है। उस सिक्रेट सोसायटी में प्रवेश पानेवाले को ऐसे ही किसी तखत पर लेटा कर बाँधा जाता है और उसे इतना खतरनाक तरीके से प्रताड़ित और परेशान किया जाता है कि आप कल्पना भी ना कर सको। ये उनकी प्रवेश विधि (रिच्युअल) है और इस विधि को Big Boss – सीजन -11 के 59वें-दिन सभी के सामने प्रतीकात्मक रूप में खुल्लंखुला दिखाया गया था। हकीकत में Big Boss भी उसी सिक्रेट सोसायटी का एक हिस्सा है।

 

आज बात करनी है, जन्मदिन मनाने के वर्तमान ट्रेण्ड की...

 

*************************

 

प्रश्न : जन्म दिन मनाना चाहिए या नहीं?

जन्म दिन इस प्रकार मनाना कब से शुरू हुआ?

क्या बर्थ-डे मनाने की वर्तमान पद्धति क्रीश्चन धर्म से आयी है?

 

उत्तर : आज से 100/200 साल पुराने इतिहास में जायेंगे तो भारत देश में जन्मदिन मनाने की कोई प्रथा ही नहीं दिखती हैं। हमारे कई सारे बुजुर्ग दादा-दादी की उम्र के वयस्क (80/90 साल के) लोगों को तो आज भी अपने जन्मदिन की दिनांक (Date) का ही पता नहीं है, इतना ही बताना काफी है क्योंकि जब जन्मदिन का ही पता ना हो तो जन्मदिन मनाने का तो सवाल ही नहीं उठता है।

 

और जन्मदिन मनाने की फैशन आयी कहाँ से? आज जिस प्रकार बर्थडे सेलीब्रेशन का ट्रेंड चल रहा है। जिस प्रकार अलग-अलग त्यौहार अनावश्यक रूप से बढ़ते जा रहे हैं, और उन त्यौहारों को मनाने के तरीके विकृत होते जा रहे है, ये देखते हुए इसकी जाँच करना जरूरी हो गया है कि जन्मदिन हकीकत में मनाना चाहिए या नहीं?

 

कई साल पहले एक चुटकुला सुना था। संतासिंह पहली बार पत्नी के कहने से हनुमानजी के मंदिर में गया होगा। वहाँ पर पूजारीजी ने उसे आरती की थाली देते हुए ब्रेकिंग न्यूज दी। 'पापेजी ! बधाई हो, आज हनुमानजी का जन्मदिन है और आप भाग्यशाली हो कि, आरती करने का लाभ आपको मिल रहा है।'

 

संतासिंह ने जोरों से फूंक लगाकर आरती के सारे दीप बुझा दिये और जोर से बोला, 'ओये! हनुमान जी ! हैप्पी बर्थडे टूयू.....'

 

*************************

 

इस देश से अंग्रेज भले ही चले गये लेकिन उन्होंने अपनी जो जड़े गहराई तक फैलाई थी, उसके फल दिखने लगे है। आज पूरे विश्व में, सभी धर्मों के अनुयायियों में जन्मदिन मनाने का ट्रेण्ड चल रहा है। उसमें भी सभी कौम की न्यू जनरेशन आज सेम पेटर्न में जन्मदिन मना रही है। रात को बारह बजे, केक काटकर, मोमबत्तीयाँ बुझाकर जन्मदिन मनाने का ट्रेण्ड प्रचलित हो ही चुका है तो आपके जीवन में यह ट्रेण्ड कितना नुकसानकारक है या कितना लाभप्रद है यह जानना जरूरी है।

 

इस प्रकार जन्मदिन मनाने का प्रचलन मिस्त्र- (इजिप्त) की संस्कृति से शुरू हो रहा है। हालांकि हमारे जैन धर्म में परमात्मा महावीर स्वामी से लेकर सभी तीर्थंकरों के जन्म कल्याणक का सेलिब्रेशन पूर्वकाल में भी होता था, आज भी होता है, क्योंकि जिन्होंने जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा पाया, उनका जन्मदिन मनाने पर, हमारा जन्म भी सफल होता है। जो कर्मों के एवं जन्मों के बंधन में फँसे हुए आम लोग है, उनका जन्मदिन मनाना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं है।

 

जन्म कल्याणक महापुरूषों का ही मनाना चाहिए। लेकिन वो मनाने के लिए भी दिन का समय होता है, क्योंकि तीर्थंकरों का जन्म भले ही मध्यरात्रि में हो, जन्म का सेलिब्रेशन दिन में ही होता था। आज भी दिन में ही होता है। दिन में शुभ-मंगल-कल्याणकारी पवित्र उत्साहवर्धक कार्य करने की परिपाटी कई सालों से चली आ रही है।

 

इजिप्त के देवी-देवता में पाँच नाम मिलते हैं। इजिप्त (मिस्त्र) के लोग सूर्य पंचाग का अनुसरण करते थे। सूर्य संवत्सर से बने पंचाग में 360 दिन होते हैं और बचे पाँच दिन वे लोग अपने पाँच देवता 1. Osiris,  2. Horus,  3. Set,  4. Isis,  5. Nepthys के जन्मदिन को मनाने का कार्य करते थे। जन्मदिन मनाने का खास मकसद जीन्न (जीन्नात) एवं आसमानी देवी-देवता की सहाय मांगने के साथ हैं [The first day was dedicated to the birth of Osiris, The second day was dedicated to the birth of Horus, The third day was dedicated to the birth of Set, The forth day was dedicated to the birth of Isis, The fifth day was dedicated to the birth of Nephthys.]

 

बाद में मिस्त्र (इजिप्त) के बादशाहों ने अपने जन्मदिन मनाना शुरू कर दिया, क्योंकि बादशाह लोग अपने आप को खुदा मानने लगे थे। वह अपनी सल्तनत (साम्राज्य) एवं अपनी जिंदगी का भविष्य जानने के लिए अपने जन्मदिन पर खास तौर से जादूगरों को एवं इल्मगारों को बुलाते थे।

 

कुछ लोगों को ऐसी भ्रांति है कि, जन्मदिन मनाने का वर्तमान ट्रेण्ड इशुमसीह की देन है या क्रिश्चन धर्म के अनुयायी लोगों ने शुरू करवाया है, लेकिन ये बात सरासर गलत है। बाइबल इत्यादि क्रिश्चयन धर्म की प्रमुख किताबों में कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं है, सिर्फ इतना बताया है कि, जब इशु मसीह (जिसस क्राइस्ट) का जन्म हुआ, तब उसे अभिनंदन देने के लिए तीन राज्य के राजा आये थे, और जब मृत्यु हुई तो फरिश्ते (देवता) आये थे, लेकिन जीवन में कहीं पर भी जिसस का जन्मदिन मनाने की बात आयी नहीं है।

 

मिस्त्र (इजिप्त) से शुरू हुई प्रथा बाद में यूनानी लोगों में जारी रही। यूनानी लोगों से जारी यह प्रथा फिर रोमन लोगों ने भी शुरू कर दी और धूमधाम से ताम झाम से जन्मदिन मनाना शुरू किया। हकीकत में जन्मदिन मनाने की रस्म कोई खुशहाली मनाने की रस्म नहीं थी, लेकिन स्पीरीच्युअल नेचुरल स्पीरीट को नतमस्तक होने के लिए थी, क्योंकि ग्रीक फीलोसोफी में बारह राशि के नाम भी देवी-देवता के नाम के आधार पर रखे गये है और लोगों को बताया गया कि आप जिस राशि में पैदा हुए हो, आपका भविष्य भी उन राशि के देवी-देवता ही तय करेंगे इसलिए उन देवी-देवताओं को खुश रखना आपका कर्त्तव्य है। उन देवी-देवता को खुश रखने के लिए जन्मदिन मनाना शुरू किया और जारी रखा गया। (हकीकत में हम स्वयं ही धर्म-अधर्म का आयोजन करके अपना भविष्य बनाते हैं।)

 

ग्रीक मायथोलॉजी के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की 'गार्जियन' स्पीरीट होती है। गार्जियन स्पीरीट यानि हमारी देशी भाषा में कहे तो कुलदेवता, कुल के या व्यक्ति के रक्षक देवी-देवता...।

 

यूनानी लोग इन देवों को, भूत-प्रेतों को और शैतानों को खुश करने के लिए केक (मीठी चीज) बनाते थे, मोमबत्ती जलाते थे, क्योंकि उनकी मान्यता के मुताबिक बुझाई गई मोमबत्ती का धूआँ जब ऊपर जाता है तो शैतान खुश होता है। भूत-प्रेतों के जन्मदिन पर उन्हें खुश रखने के लिए केक और केण्डल का कार्य करके (यानि केक समर्पित कर, केण्डल जला कर) वे अपनी-अपनी मन्नतें मांगते थे। यूनानी प्रजा की देवी (ग्रीस की गोडेस) अल्तमस नाम की थी, जिसे Goddess of Moon and Hunt बताते थे। रोमन लोगों ने इस जन्मदिन के इवेण्ट को फेस्टीवल का प्रारूप दे दिया। वे लोग फूल, खुश्बू, केक चढ़ाने का काम करते थे लेकिन कोई खुशी से नहीं, एक प्रकार के डर से, मजबूरी में सेक्रिफाइस (बलिदान) के रूप में चढ़ाते थे। यदि गार्जियन स्पीरीट नाराज हो जायेगी तो हमारी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी, ऐसा सोचकर वे लोग ये सब करते थे। ये सब रिच्युअल (विधि-विधान) शैतान को बलि चढ़ाने स्वरूप हैं।

 

चर्च ऑफ सेटर्न का मुख्य व्यक्ति, जिसका नाम एन्टोन लवे है, उसने जन्मदिन मनाने की इस प्रथा को शैतानी ईद मनाने जैसा बताया है। हमें जो रेफरन्स प्राप्त हुए है, इसे आप भी पढ़ें …………….

 

Back in 1969-Anton Lavey, wrote the satanic bible, on page 96, on the 1976 version, it mantions birthdays. The Highest of all holidays in the Satanic religion is the date of one's own birthday.

Christians and Jews didn't celebrate birth days and some still.....

 

इस शैतानी रीति-रिवाज-रस्म को आम बनाने के लिए, इन लोगों ने सभी लोगों को अपने खुद के ही जन्मदिन इस प्रकार मनाने के लिए बाद में प्रेरित किया और आज आप देख ही रहे हो कि पूरी दुनिया में क्या चल रहा है?

 

आत्मा के द्वारा देह की कैद में कैद होने के दिन को हम जन्मदिन के रूप में मनाये वो कितना उचित है? हकीकत में तो हमें अपनी मृत्यु को समाधि के माध्यम से सेलिब्रेट करना चाहिए। पूरी जिंदगी जिन्होंने परमात्मा को, और अपनी आत्मा को साधना के द्वारा खुश किया हो, उन्हें मृत्यु के दिन को सेलिब्रेट करना चाहिए। मृत्यु से हमें डर लगता है, लेकिन मृत्यु को बुलाने वाला तो जन्म ही है, यदि जन्म ही नहीं होता, तो मृत्यु भी नहीं आती इसलिए हकीकत में हमें यदि डरना ही हो तो जन्म से और जन्मदिन से डरना चाहिए।

 

जब से आत्मदृष्टि को भूलकर हम शरीर को ही आत्मा मानने लगे है, तब से प्रभु की आज्ञा, आराधना एवं आशीर्वाद सिर्फ बाहरी ही बचे है, अंत: स्तल पर जाये तो सब कुछ खोखला हो गया हो ऐसा प्रतीत हो रहा है।

 

शरीर को सर्वस्व मानने वालों की जमात बढ़ती जा रही है। शरीर को ही समर्पित होने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। और आप देख भी सकते हो, अपने शरीर के पीछे अपने प्राण न्यौछावर करने की सोच वाले दूसरों के प्राण बिंदास हर रहे हैं। अपने ही जन्मदिन को कई जीवों का मृत्यु दिन बना रहे हैं। जन्मदिन मनाने वाले रात को क्यों जन्मदिन मना रहे है? इसका रहस्य अब समझ आ रहा हैं। हमारें यहाँ जितनी शुभ, पवित्र, धार्मिक प्रसन्नतादायक पर्वमय प्रवृत्तियाँ हो वो दिन में ही शुरू करने की विधि है। मध्यरात्रि का समय अशुभदेव-दानवगण के लिए रिजर्व है। कई बार अशुभ तत्त्व नहीं भी हो, तो भी मध्यरात्रि के समय में तांत्रिक -मांत्रिक सक्रिय होने से अशुभ प्रेत इत्यादि का गमनागमन अत्यधिक होता है।

 

मध्य रात्रि के समय रात्रि भोजन करने वालों को भी अशुभ तत्त्वों ने घेरा हो ऐसे अनेक किस्से देखे गये है।

 

यहाँ तो पूरी प्रक्रिया ही तंत्र क्रिया से जुड़ी हो ऐसा दिख रहा हैं। अपने जन्मदिन को रात में मनाना, मोमबत्ती बुझाकर अंधेरा करना, नाच गान करना, एक-दूसरों पर केक चुपड़ना, स्वकेन्द्रित स्वार्थी सेल्फीस जीवन जीने वालों के लिए ये सारी क्रियाएँ अन्जाने में शैतान को बुलावा देने का काम करती हैं।

 

स्वयं तीर्थंकर परमात्मा महावीर स्वामी जी जीवित थे, तभी भी हर साल इस प्रकार जन्मदिन मनाने की बात कहीं पर भी सुनी नहीं हैं, क्योंकि भारतीय संस्कृति में जन्म को आत्मा का कैदखाना और आत्मा का कलंक माना जाता था। जन्म को रोग माना जाता रहा है। हाँ, मृत्यु के पश्चात् महापुरूषों के जीवन को याद करके उनके जन्मदिन इसलिए मनाये जाते है, ताकि लोगों को उनके जीवन के माध्यम से अपने जीवन को ऐसा उन्नत बनाने की प्रेरणा मिलें।

 

जो कार्य ईश्वर को, स्वयं को स्वीकार्य नहीं हो, उसे अन्य प्रकार से करना भी उचित नहीं है, अतः यदि कोई जन्मदिन को लक्ष्य में लेकर अलग प्रकार सेलिब्रेट करता हो तो भी कितना योग्य माना जाये, यह प्रश्न है [यानि दिन में, रात्रि भोज ना करते हुए जन्मदिन सेलिब्रेट करें......] मुझे याद आ रहा है, एक स्थान पर पूज्य गुरुदेव श्री के जन्मदिन निमित्त कोई गुरुभक्त केक बनाकर ले आया था, तब वहाँ पर RSS अध्यक्ष मोहन भागवत भी संयोग से उपस्थित थे। जब वो गुरुभक्त ने भागवतजी को केक ओफर की, तब भागवतजी ने सविनय इन्कार करते हुए कहा था, 'जन्मदिन पर केक बनाना, खाना हमारी संस्कृति ही नहीं है।'

 

परोपकार के कार्य (गौशाला मे गायों को घास खिलाना, साधर्मिक भक्ति में योगदान इत्यादि) यदि जन्मदिन के नाम पर होते हैं तो परोपकार के कार्य का किसी भी प्रकार से विरोध नहीं है, उल्टा अनुमोदन है, लेकिन लक्ष्य यह रहना चाहिए कि मुझे जन्म दिन पर ही ऐसे कार्य नहीं करने है, पूरे साल करने है और जन्म दिन पर मैं ऐसे काम करूँ कि मेरा जन्म अमर हो जाये, मैं अजन्मा (सिद्ध) बनूँ......

 

[लेख में उपयुक्त सामग्री अल्मास जैकब]

Comentarios


Languages:
Latest Posts
Categories
bottom of page