भारतीय परंपरा में ‘चरण-स्पर्श’ का इतना गहरा महत्व क्यों है? चाहे परमात्मा हों, सद्गुरु हों,या माता-पिता जैसे हमारे बुज़ुर्ग हों — सबके ‘चरण-स्पर्श’ का उल्लेख हमारे कल्चर में बार-बार आता है। दिवाली जैसे पर्वों पर माता-पिता के चरण स्पर्श कर उनके आशीर्वाद लेने की परंपरा होती है... अंजनशलाका जैसे मंगल विधानों में “अनंत गुरुपादुकेभ्यो नमः” के माध्यम से सद्गुरु के ‘चरण-वंदन’ की ही बात आती है... जब हम शत्रुंजय जाते हैं — पाँच चैत्यवंदन करते हैं, दादा आदिनाथ का चैत्यवंदन करते हैं, फ