Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj SahebDec 12, 20214 minNovelTemper : A terror – 14(मंत्री मित्रानन्द शव के द्वारा कहे गए वचनों को भूल नहीं सकते थे, इसलिए राजा से मौंन अनुमति लेकर पाटलिपुत्र छोड़कर कहीं और चले गए।...
Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj SahebMay 19, 20218 minNovelTemper : A Terror-12(अमरदत्त और रत्नमंजरी के शादी के पश्चात राजपुरोहित के पास सेनाधिपति आए और राजा के अकाल मरण के दु:खद समाचार दिए। आगे क्या होता है पढ़िए।)...
Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj SahebSep 23, 20203 minNovelTemper : A Terror – 4नदी की किनारे पर वटवृक्षों का राज था, एक विशालकाय साँप की केंचुलीओं की तरह सर्वत्र वटवृक्षों की शाखाएँ फैली हुई थी। नदी का गम्भीर किन्तु...
Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj SahebJul 27, 20206 minNovelTemper : A Terror – 3बिजली के चमकारे की तरह अमरदत्त का बचपन देखते ही देखते पूरा हो गया। “अमर ! आज से तुम्हे विद्याभ्यास करने के लिए गुरुकुल में जाना है। और...
Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj SahebJun 21, 20205 minNovelTemper: A Terror – 2राजतापस के चेहरे पर आनन्द छा गया। ‘देखो ! कितना सुन्दर बालक है। एकदम आप पर गया है।’ राजतापसी ने राजतापस को सद्यः प्रसूत बालक को दिखाते...