Shri Vardhaman Shakrastav - Hindi
Shakrastav : “Arihant” ka Anaahat Naad
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शक्रस्तव अर्थात् ….
‘अहं’ की शमशान यात्रा… ‘अर्हम्’ की सद्गुण यात्रा…
‘शक्र’ का सद्भाव शिखर… ‘स्तव’ का शब्द शिखर…
अनन्त गुणों के स्वामी श्री वीतराग जिनेश्वर के 273 गुणों की प्रस्तुति के द्वारा उनके बाह्य और अभ्यन्तर स्वरूप का परिचय ‘शक्रस्तव’ है।
Sampadak : Muni Shri Dhananjay Vijayji Maharaj
Language : Hindi
Brief Description
♦ इस पुस्तक की विशेषता ♦
• मूल स्तोत्र में रही अशुद्धियाँ दूर की गई है।
• प्रत्येक पद के अर्थ में ‘ नमन हो ’ वाक्य जोड़ा गया है।
• सामान्य व्यक्ति भी बोध प्राप्त कर सके, ऐसी भाषा में भावानुवाद लिखा गया है।
• प्रायः हर पद के अर्थ में प्रभु के प्रति हृदय में स्पन्दन उत्पन्न हो, ऐसे विशेषण लिखे गए हैं।
• अर्थ के निर्णय के लिए शक्रस्तव की 7-8 पुस्तकों और भगवद् गोमण्डल जैसे अनेक शब्दकोशों का आधार लिया गया है।
• इस पुस्तक में अभिषेक का विधान भी बहुत सरलता से समझाया गया है।
•अभिषेक विधान और जलयात्रा विधान के लिए अनेक प्रतों से संशोधन करके यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
• अभिषेक से पहले करने योग्य “जलयात्रा विधान” की मुद्रा सहित पूर्ण विधि इस पुस्तक समझाई गई है।
• अभिषेक से पूर्व की, अभिषेक के दिन की और अभिषेक के समापन की आवश्यक सूचनाएँ भी प्रकाशित की गई हैं।
• इस पुस्तक में प्रभु के गुणों पर 11 ह्रदयस्पर्शी-संवेदनशील प्रार्थनाएँ हैं।
•यह पुस्तक मल्टी कलर-आर्ट पेपर प्रिंटिंग के साथ-साथ हार्ड बाउंड बाइंडिंग में मुद्रित है, ताकि किताब लंबे समय तक उपयोगी बनी रहे।
• इस पुस्तक की प्रस्तावना पू. सरस्वतीलब्धप्रसाद आचार्य श्री रत्नसुन्दरसूरीश्वरजी महाराजा ने अरिहन्त प्रभु की महिमा बताने वाली अत्यन्त मार्मिक प्रस्तावना लिखी हैं।